कुंभ मेला: आध्यात्मिकता, परंपरा और आस्था का संगम
कुम्भ मेला भारत की सबसे भव्य और आध्यात्मिक परंपराओं में से एक है। यह आयोजन न केवल एक धार्मिक उत्सव है, बल्कि भारतीय संस्कृति, परंपरा, और आध्यात्मिकता का जीवंत प्रतीक है। इसे दुनिया का सबसे बड़ा मानव समागम माना जाता है, जहां लाखों श्रद्धालु, साधु, और पर्यटक एकत्रित होते हैं। --- कुम्भ मेला: क्या है इसका महत्व? कुम्भ मेला हिंदू धर्म के चार पवित्र स्थलों पर आयोजित होता है: 1. प्रयागराज (उत्तर प्रदेश): गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती का संगम। 2. हरिद्वार (उत्तराखंड): गंगा नदी के किनारे। 3. उज्जैन (मध्य प्रदेश): शिप्रा नदी के तट पर। 4. नासिक (महाराष्ट्र): गोदावरी नदी के किनारे। यह आयोजन हर 12 साल में एक बार प्रत्येक स्थान पर होता है। इसके अलावा, अर्धकुम्भ मेला 6 साल में और महाकुम्भ मेला 144 साल में आयोजित होता है। --- पौराणिक कथा और उत्पत्ति कुम्भ मेले की उत्पत्ति समुद्र मंथन की पौराणिक कथा से जुड़ी है। देवताओं और असुरों के बीच अमृत (अमरता का रस) के लिए संघर्ष हुआ। इस दौरान अमृत कलश से अमृत की कुछ बूंदें चार पवित्र स्थानों पर गिरी, जिन्हें आज कुम्भ मेला स्थलों के रूप में पूजा जाता है। --- कुम...