धारा (Rebate Under Section) 87A
आयकर में छूट के लिए फिर से रिटर्न दाखिल करने की सुविधा: बॉम्बे हाईकोर्ट आदेश और CBDT का महत्वपूर्ण सर्कुलर
आयकर कानूनों में समय-समय पर सुधार और संशोधन होते रहते हैं, जो करदाताओं को राहत देने का कार्य करते हैं। हाल ही में, बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है, जिसमें योग्य करदाताओं को संशोधित (Revised) या देर से दायर (Belated) आयकर रिटर्न के माध्यम से धारा 87A के तहत छूट का दावा करने की अनुमति दी गई है। इसके साथ ही, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने 31 दिसंबर 2024 को जारी सर्कुलर में आयकर रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तिथि को बढ़ाकर 15 जनवरी 2025 कर दिया है।
यह निर्णय उन करदाताओं के लिए राहत लेकर आया है जो पुरानी या नई टैक्स प्रणाली के तहत कर छूट का लाभ नहीं उठा सके थे। आइए, इस फैसले और नई टैक्स प्रणाली के प्रभाव को विस्तार से समझते हैं।
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1. बॉम्बे हाईकोर्ट का फैसला और धारा 87A के तहत छूट
बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपने फैसले में यह स्पष्ट किया कि करदाता संशोधित या देर से दाखिल की गई आयकर रिटर्न में भी धारा 87A के तहत छूट का दावा कर सकते हैं। धारा 87A उन करदाताओं के लिए लागू होती है, जिनकी कुल आय ₹5 लाख या नई टैक्स प्रणाली में ₹7 लाख तक है।
धारा 87A के तहत टैक्स छूट:
यदि आपकी कुल आय ₹5 लाख (पुरानी प्रणाली) या ₹7 लाख (नई प्रणाली) तक है, तो आपको कर छूट के माध्यम से कोई टैक्स नहीं देना होगा।
यह छूट दोनों प्रणालियों में लागू होती है, लेकिन नई प्रणाली में ₹7 लाख तक की आय पर छूट विशेष रूप से लाभकारी है।
2. CBDT द्वारा समयसीमा का विस्तार
CBDT ने 31 दिसंबर 2024 को एक नोटिफिकेशन के माध्यम से संशोधित और देर से दायर रिटर्न की अंतिम तिथि को बढ़ाकर 15 जनवरी 2025 कर दिया है। यह विस्तार करदाताओं को अपनी आयकर रिटर्न की समीक्षा करने और किसी भी त्रुटि को सुधारने का अवसर प्रदान करता है।
यह कदम उन करदाताओं के लिए फायदेमंद है, जिन्होंने पुरानी प्रणाली में कटौती का दावा नहीं किया था या नई प्रणाली में उपलब्ध टैक्स छूट का लाभ नहीं लिया था।
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3. नई और पुरानी टैक्स प्रणाली का तुलनात्मक विश्लेषण
पुरानी टैक्स प्रणाली:
करदाता 80C, 80D, होम लोन ब्याज और अन्य कटौतियों का लाभ उठा सकते हैं।
धारा 87A के तहत ₹5 लाख तक की आय पर छूट उपलब्ध है।
टैक्स स्लैब अपेक्षाकृत उच्च हैं।
नई टैक्स प्रणाली (2023-24 से लागू):
कम टैक्स स्लैब के साथ अधिक सरल प्रणाली।
धारा 87A के तहत ₹7 लाख तक की आय पर पूरी तरह टैक्स छूट।
स्टैंडर्ड डिडक्शन ₹50,000 वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए लागू।
कोई अन्य कटौती (जैसे 80C, 80D) उपलब्ध नहीं है।
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4. नई प्रणाली की विशेषताएँ:
1. सरल और पारदर्शी टैक्स स्लैब: नई प्रणाली में कम टैक्स स्लैब हैं और ₹7 लाख तक की आय वाले करदाताओं को शून्य कर देना होगा।
2. कटौती का अभाव: नई प्रणाली में 80C, 80D, और अन्य कटौतियों का लाभ नहीं मिलता।
3. स्टैंडर्ड डिडक्शन: ₹50,000 तक का डिडक्शन वेतनभोगी करदाताओं के लिए उपलब्ध है।
4. कौन सा विकल्प चुनें? अगर आपकी आय ₹7 लाख तक है और आप टैक्स बचाने के लिए कटौती का दावा नहीं करते, तो नई प्रणाली अधिक लाभकारी हो सकती है।
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5. करदाताओं के लिए क्या करना चाहिए?
1. अपनी आयकर रिटर्न की समीक्षा करें:
यदि आपने पुरानी या नई प्रणाली में छूट का दावा नहीं किया है, तो इसे संशोधित करें।
2. सही प्रणाली का चयन करें:
यदि आप कटौती का लाभ उठाते हैं, तो पुरानी प्रणाली चुनें।
यदि आप सरलता चाहते हैं और कटौती का दावा नहीं करते, तो नई प्रणाली अधिक फायदेमंद होगी।
3. 15 जनवरी 2025 तक रिटर्न दाखिल करें:
CBDT द्वारा दी गई अतिरिक्त समयसीमा का लाभ उठाएं और अपनी रिटर्न समय पर दाखिल करें।
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निष्कर्ष
बॉम्बे हाईकोर्ट का फैसला और CBDT द्वारा समयसीमा का विस्तार उन करदाताओं के लिए राहत लेकर आया है, जिन्होंने पहले टैक्स छूट का दावा नहीं किया था। नई और पुरानी प्रणाली के लाभों का विश्लेषण कर सही प्रणाली का चयन करें और धारा 87A के तहत मिलने वाली छूट का लाभ उठाएं।
यह फैसला और नई प्रणाली के नियम देश में टैक्स प्रणाली को अधिक सरल और पारदर्शी बनाने की दिशा में एक और कदम है। करदाताओं को सलाह दी जाती है कि वे अपने आयकर रिटर्न की समीक्षा करें और सुनिश्चित करें कि सभी लाभों का सही तरीके से उपयोग कर रहे हैं।
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धन्यवाद 🙏🙏
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