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जून, 2023 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

धारा 370 हटाना: सही या गलत?

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  धारा 370 को हटाने के बाद कुछ लोग इसका विरोध कर रहे हैं। लेकिन सवाल यह है कि क्या इसका विरोध वाजिब है? अगर कश्मीर के विकास में बाधा आ रही थी, योजनाओं का लाभ आम जनता तक नहीं पहुंच रहा था, और कश्मीर के लोग बाकी भारतीयों के साथ खुलकर नहीं घुल-मिल पा रहे थे, तो क्या इसे जारी रखना सही होता? विरोध के तर्क और उनका विश्लेषण कुछ लोग इस बात का तर्क दे रहे हैं कि धारा 370 हटने से: 1. बाहरी लोगों का आगमन बढ़ेगा। 2. जनसंख्या वृद्धि से पर्यावरण को नुकसान होगा। 3. कश्मीर की सुंदरता पर प्रभाव पड़ेगा। ये चिंताएं निश्चित रूप से वाजिब हैं, लेकिन ये विरोध के पर्याप्त कारण नहीं हो सकते। इन मुद्दों से निपटने के लिए राज्य सरकार और केंद्र सरकार सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण के लिए कदम उठा सकती हैं, जैसा कि अन्य राज्यों में किया जाता है। लेकिन यदि निवेश नहीं होगा और बाहरी लोग कश्मीर से जुड़ेंगे नहीं, तो वहां के विकास का सपना अधूरा ही रहेगा। कश्मीर को मुख्यधारा में लाने के लिए धारा 370 एक बाधा थी, जिसे हटाना आवश्यक था। लद्दाख और जम्मू के साथ न्याय धारा 370 का लाभ केवल कुछ विशेष वर्गों तक सीमित था। जम्मू और ल...

मंदी की आहट।।

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  विपक्ष का दावा है कि देश भारी मंदी का सामना कर रहा है, जबकि सत्ता पक्ष इस बात को पूरी तरह खारिज करता है। लेकिन वित्त मंत्री के हालिया बयान, जिसमें कहा गया कि "ओला/उबर के चलते ऑटो सेक्टर में मंदी है क्योंकि लोग ज्यादा कार नहीं खरीद रहे हैं," इस बात की ओर इशारा करते हैं कि कहीं न कहीं मंदी का असर तो है। हालांकि, यह तर्क विवादास्पद है। ऑटो सेक्टर में केवल कारें नहीं आतीं; इसमें अन्य वाहनों की बिक्री भी शामिल है। अगर कारों की बिक्री कम हुई है, तो इसका मतलब यह नहीं कि अन्य वाहनों की बिक्री पर भी ओला/उबर का प्रभाव पड़ा है। इससे यह स्पष्ट होता है कि सरकार अंदरूनी तौर पर कहीं न कहीं चिंतित है। --- आर्थिक गतिविधियों में सुस्ती के संकेत 1. आरबीआई का रिज़र्व फंड लेना: सरकार का आरबीआई से रिज़र्व फंड लेना आर्थिक दबाव का संकेत देता है। 2. आयकर विभाग का अग्रिम कर दबाव: सितंबर माह में व्यापारियों से मार्च तक के अनुमानित कर की गणना मांगना और अग्रिम कर भुगतान के लिए दबाव बनाना, आर्थिक गतिविधियों में सुस्ती की ओर इशारा करता है। आयकर अधिनियम की धारा 234B और 234C पहले से ही उन करदाताओं पर लागू ...

जल संकट: समस्या और समाधान।।

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  बारिश हो तो संकट, ना हो तो संकट। ज्यादा बारिश होने पर बाढ़ की समस्या, और कम होने पर सूखे की समस्या। ऐसा लगता है कि समस्या हर हाल में होना तय है। लेकिन इसका कारण क्या है? क्या प्रकृति को दोष देना सही है, या फिर हमें अपनी आदतों और लापरवाहियों पर ध्यान देना चाहिए? हम अक्सर खुद समस्याएं खड़ी करते हैं और बाद में सिर पकड़कर पछताते हैं। अच्छी बारिश के बावजूद, हम जल संचय करने में असफल रहते हैं। जब जल संचय का सही समय होता है, तब हम इसे नजरअंदाज कर देते हैं। और जब कम बारिश होती है, तो रोना-धोना शुरू कर देते हैं। एक पुरानी कहावत है: "अब पछताए होत क्या, जब चिड़िया चुग गई खेत।" अभी समय है कि हम इस समस्या की जड़ को समझें और सही कदम उठाएं। वरना, आने वाले समय में हमें और भी विकट परिस्थितियों का सामना करना पड़ेगा। --- जल संरक्षण: जिम्मेदारी सबकी जल संचय केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं है, और न ही यह सिर्फ आम जनता के भरोसे छोड़ा जा सकता है। इस दिशा में सभी को मिलकर काम करना होगा। यह काम केवल औपचारिकता के लिए नहीं किया जा सकता। इसे समर्पण और जिम्मेदारी के भाव से करना होगा। हमें यह समझना होगा कि...

पूंछ कट्टा सियार और सेक्युलरवादी में समानता।

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  जंगल का एक सियार, एक दिन खाने की तलाश में शहर पहुंचा। वहां, खाने की लालच में वह एक घर में घुस गया। घर का मालिक जाग गया और सियार को देखकर शोर मचाने लगा। घबराकर सियार भागने लगा, लेकिन भागते समय उसकी पूंछ कहीं फंस गई और कट गई। जंगल लौटने पर उसके साथियों ने उसकी बिना पूंछ की हालत देखकर उसका खूब मजाक उड़ाया। सियार को यह बात बहुत चुभी। उसने सोचा कि अगर सारे सियार अपनी पूंछ कटवा लें, तो कोई उसका मजाक नहीं उड़ाएगा। एक दिन उसने सभी सियारों को बुलाया और चालाकी से कहा, "भाइयों, ये पूंछ किसी काम की नहीं है। उल्टा, यह हमारे लिए कई मुश्किलें खड़ी करती है। मुझे देखो, मैंने अपनी पूंछ कटवा दी है और अब कितना आजाद महसूस कर रहा हूं। न कोई बोझ, न कोई परेशानी!" सियार अपनी बात को सच साबित करने के लिए अपनी पूंछ न होने की आजादी का दिखावा करने लगा। उसने खुशी-खुशी अपनी कमर हिलाते हुए कहा, "देखो, मैं कितना मजे से घूम रहा हूं। तुम्हें भी अपनी पूंछ कटवा देनी चाहिए।" सियारों के सरपंच ने उसकी बात ध्यान से सुनी और कहा, "तुम्हारी आजादी तुम्हें मुबारक। हमें हमारी पूंछ से कोई शिकायत नहीं है। हम...