नौकरी या व्यापार।।

 


बचपना तो अभी गया भी नहीं था कि नित नई जिम्मेदारियां घेरना शुरू कर देती हैं। इस जिम्मेदारी को निभाने के लिए हमारे जीवन में अर्थ की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका है। यदि अर्थ है, तो बड़ी से बड़ी जिम्मेदारी हल्की लगने लगती है, और यदि नहीं है, तो जीवन ऐसा संघर्षमय हो जाता है कि इसे शब्दों में बयां करना मुश्किल हो जाता है। कभी-कभी तो जिम्मेदारी का बोझ और अर्थ की कमी पूरे परिवार को बर्बाद कर देती है।


अब बात करते हैं कि अपने जीवन में अर्थ यानी पैसे की कमी को कैसे दूर करें। आजकल का जो समय है और जो आनेवाला है, वह बहुत ही सुंदर है। यदि धैर्यपूर्वक पैसे कमाने की कोशिश की जाए तो कई रास्ते हैं, जिनसे पैसे कमाए जा सकते हैं। किन्तु, रास्ते कौन से अपनाने हैं, यह आप पर निर्भर करता है, आपके पास मौजूद साधनों पर निर्भर करता है, और आपके ज्ञान और क्षमता पर निर्भर करता है। ऐसा नहीं कि हर इंसान में एक समान क्षमता हो, इसलिए दूसरों की नकल करने से भी बचें और अपनी क्षमता तथा रुचि के अनुसार काम करें।


नौकरी करें या व्यापार, हर जगह काबिलियत के साथ-साथ धैर्य की बहुत जरूरत होती है, लेकिन चुनाव सही करें। पढ़ाई पूरी होने के बाद का समय एक ऐसा समय होता है, जब आप आनेवाले कल के लिए एक रास्ता चुनते हैं, जिस रास्ते पर चलकर अपने सपनों को साकार करते हैं। और यह नौकरी तथा व्यापार दोनों से पूरा हो सकता है।


पहले बात करते हैं नौकरी की। आजकल सरकारी नौकरी मिलना बहुत मुश्किल है, और यदि मिलेगी भी तो कितनी लोगों को मिलेगी? इसलिए सरकारी नौकरी को किनारे रखते हुए बात करते हैं प्राइवेट सेक्टर की। प्राइवेट सेक्टर में अच्छी से अच्छी नौकरी है, जहां से आप अपनी काबिलियत और क्षमता के अनुसार अपने सपनों को साकार कर सकते हैं। इसमें यदि आय सीमित है तो कार्य का समय भी सीमित है, और आर्थिक जोखिम तो न्यूनतम ही है। इसमें एक बात जो मुख्य रूप से लोगों को सामना करना पड़ती है, वह है आदेश; आपको हमेशा दूसरों के आदेश पर काम करने के लिए तैयार रहना होगा। नौकरी में आप अपने मन से नहीं, बल्कि दूसरों के मन के हिसाब से काम करते हैं, जिसके लिए अत्यधिक सहनशील होना जरूरी होता है।


अब बात करते हैं व्यापार की। व्यापार के बारे में कहा जाता है, "जो न करे कपार, वो करे व्यापार"। इसमें असीमित आय अर्जित की जा सकती है, लेकिन कुछ मुख्य बिंदुओं पर गौर करना चाहिए। सबसे पहले, व्यापार के लिए मेहनत और अर्थ (पैसा) दोनों लगाने के लिए हमेशा तैयार रहना होता है। यदि आपके पास अर्थ नहीं है, तो संभवतः बैंकों से या दोस्तों और रिश्तेदारों से आर्थिक सहायता लेकर भी शुरुआत की जा सकती है। इसमें आर्थिक नुकसान की भी संभावना हमेशा बनी रहती है, इसलिए जोखिम उठाने की क्षमता जरूर होनी चाहिए। और यदि यह सब आपके लिए संभव है, तो फिर आपके सपनों को ऊंची उड़ान भरने से कोई नहीं रोक सकता।


यदि नौकरी ऐसी हो, जहां वर्तमान के साथ भविष्य का कोई ठिकाना न हो, जहां मेडिकल, पीएफ, लीव ना हो, और जहां नौकरी कब तक चलेगी, इसका कोई भरोसा न हो, तो ऐसी नौकरी से लाख गुना अच्छा छोटा-सा व्यापार है, जो कम लागत से शुरू करके आप नौकरी से अच्छा, बल्कि बहुत अच्छा कमा सकते हैं। नौकरी में 30 दिन काम करो, फिर एक दिन जाकर वेतन मिलेगा (बहुत कम लोग होते हैं जो पहली तारीख को वेतन दे देते हैं)। कई लोग तो ऐसे होते हैं जो पहले अपने घर के ईएमआई, बच्चों के फीस, गाड़ी की ईएमआई, अपनी मौज-मस्ती की भरपाई कर लेते हैं, फिर काम करने वालों को वेतन देते हैं, वो भी अगर पैसा है तो ठीक, नहीं तो टुकड़े-टुकड़े में देते हैं। उन्हें इतना नहीं समझ में आता कि हमारे सारे खर्चे की भरपाई उसी काम करने वाले की मेहनत के बदौलत होती है। अगर ऐसी नौकरी मिले, तो इससे अच्छा सड़क के किनारे बैठकर सब्जी बेच लें। लेकिन व्यापार में लक्ष्मी आती-जाती रहती है, जिससे हमेशा मन प्रसन्न रहेगा और अपनी जिंदगी की छोटी-छोटी खुशियों को कभी दबाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। अपनी जिंदगी अपने हिसाब से जिएंगे, लेकिन नौकरी में यह सब संभव नहीं है।


मैंने अपने हिसाब से दोनों की सकारात्मक/नकारात्मक बातें रखने की कोशिश की है। वैसे हर पहलू को छू पाना यहां संभव नहीं हो सकता, लेकिन जहां तक संभव हो सकता है, मैंने अपनी बात रखने की कोशिश की है। चुनाव और उसमें सफलता आपके कार्यक्षमता, साधन, योग्यता और मेहनत पर निर्भर करता है।



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